फूलपुर सीट पर भाजपा की पांच सबसे बड़ी वजह सामने आई है जिससे भाजपा की जीत और सपा की हार हुई….जिसे हम एक-एक कर बताएँगे…
1 फूलपुर सीट पर भाजपा की जीत को लेकर पहली सबसे बड़ी वहज ये रही कि फूलपुर सीट पर बीजेपी का टिकट पाने के लिए पचास से ज़्यादा दावेदार थे, लेकिन पार्टी ने सबसे मजबूत दावेदार दीपक पटेल पर ही दांव लगाया. दीपक पटेल के नाम का एलान होते है भाजपा यहां सीधी लड़ाई में आ गई और चुनाव आते -आते माहौल पूरी तरह उसके पक्ष में आ गया. साफ़ सुथरी और जुझारू छवि वाले युवा चेहरे पर लोगों ने भरोसा जताया. मां केशरी देवी के कार्यकाल में उनकी सक्रियता भी काफी काम आई. जिससे भाजपा की जीत हुई
2- फूलपुर सीट पर भाजपा की जीत को लेकर दूसरी सबसे बड़ी वहज ये रही कि पार्टी ने यहां शुरू से ही आक्रमक अंदाज़ में प्रचार किया. सीएम योगी आदित्यनाथ ने दोनों चुनावी सभाओं में बटोगे तो कटोगे के नारे के ज़रिये जातियों का बैरियर तोड़ने का काम किया तो डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने गैर यादव ओबीसी जातियों को एकजुट करने के लिए यहां कई दिनों तक डेरा डाला और अपने मकसद में कामयाब रहे. जिसका नतीजा ये रहा की समाजवादी प्रत्याशी की हार हुई और भाजपा जीत का परचम लहराया

3- फूलपुर सीट पर तीसरी सबसे बड़ी वजह भाजपा की जीत को लेकर ये रही कि भाजपा प्रत्याशी दीपक पटेल का परिवार चुनावी मैनेजमेंट में माहिर माना जाता है.इनके बड़े भाई दिनेश पटेल ने पार्टी के साथ मिलकर हर बूथ के लिए अलग रणनीति बनाई और माइक्रो मैनेजमेंट करते हुए न सिर्फ घर – घर पैठ बनाई, बल्कि सपा और बसपा के कोर वोटर्स में भी जमकर सेंधमारी कराई. दलितों के आधे वोट हासिल किये. पंद्रह से बीस फीसदी यादव वोटों में सेंधमारी कराई तो दस फीसदी के करीब मुस्लिम वोट भी पाने में कामयाब रहे. दिनेश पटेल ने हर दल के ग्राम प्रधान और बीडीसी सदस्यों से संपर्क किया और उनके कुछ वोट भी पार्टी को दिलाए.
4 फूलपुर सीट पर भाजपा की चौथी सबसे बड़ी वजह जीत कि ये सामने आई है कि पार्टी की एकजुटता. दीपक पटेल के नाम पर पार्टी कार्यकर्ता पूरी तरह एकजुट रहे और सभी ने कमल का फूल खिलाने का संकल्प लिया. पार्टी कार्यकर्ताओं की एकजुटता जीत का बड़ा आधार बनी. हालांकि कुछ प्रमुख नेताओं और पदाधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरे में रही, लेकिन कार्यकर्ताओं की एकजुटता और सक्रियता ने मुश्किल लड़ाई को आसान बना दिया. कार्यकर्ताओं को एकजुट और सक्रिय करने में डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य की अहम भूमिका रही.
5 फूलपुर विधानसभा सीट पर पाचवीं सबसे बड़ी वहज सपा की हार को लेकर जो सामने आई है वह ये रही कि प्रत्याशी और पार्टी पदाधिकारियों के बीच तालमेल का अभाव रहा. प्रत्याशी मुजतबा सिद्दीकी का एक बयान भी उनके लिए सिरदर्द बना. शिवपाल यादव और डिम्पल यादव जैसे स्टार प्रचारकों की कमी भी पार्टी को खूब खली. अयोध्या के सांसद अवधेश पासी फतेहपुर के सांसद नरेश उत्तम पटेल समेत ज़्यादातर स्टार प्रचारक पूरे चुनाव में कहीं नज़र नहीं आए. फूलपुर की परिस्थितियों के आधार पर कहा जा सकता है समाजवादी पार्टी यहां हवा में चुनाव लड़ती रही थी उसने जीत वाली थाली बीजेपी को तोहफे के तौर पर परोस दी