मथुरा में निराश्रित गोवंश की संख्या लगातार बढ़ रही है। यह न केवल दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों के लिए परेशानी भी खड़ी कर रहे हैं। वैसे तो जिले की गोशालाओं में जितने भी गोवंश हैं, उससे कहीं ज्यादा इनका रात में सड़कों पर बसेरा रहता है। आप की जरा सी लापरवाही हादसे का कारण बन सकती है। गोवंश की सुरक्षा के सरकारी दावे भी फेल साबित हो रहे हैं।
डैंपियर नगर और होली गेट समेत शहर के कई हिस्सों का यही हाल है। पेट भरने के बाद यह गोवंश अक्सर रात को सड़कों पर जाकर बैठे मिलेंगे। शहर का व्यस्ततम मथुरा-वृंदावन मार्ग पर रात के समय गोवंश का जमावड़ा रहता है। इसके अलावा मंडी चौराहे पर गोवंश सड़कों पर पहुंच जाते हैं और सड़कों के बीच बैठ जाते हैं। कई बार तो वाहन के हॉर्न की आवाज सुनकर गोवंश विचलित भी हो जाते हैं और इधर-उधर भागने लगते हैं। इससे हादसा होने का डर अधिक रहता है।
कई मार्गों पर स्ट्रीट लाइटें बंद होने से हादसों की आशंका बढ़ जाती है। कई दोपहिया वाहन चालक बेसहारा पशुओं के कारण हादसों का शिकार हो चुके हैं। बीच सड़क पर बैठे निराश्रित पशुओं से होने वाली दुर्घटनाओं के संबंध में अमर उजाला की टीम ने लोगों से चर्चा की तो उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा रात के समय वाहन चालकों को समस्या होती है। कुछ निराश्रित पशु ऐसे हैं जिनका रंग काला होता है और बीच सड़क पर झुंड़ लगाकर बैठे रहते हैं। तेज गति में आने वाले वाहन चालकों को ये दिखाई नहीं देते जिसके कारण दुर्घटना घट जाती है।
क्या बोले लोग
गोवर्धन रोड निवासी नितिन शर्मा ने बताया कि सड़क पर बैठे गोवंश से हादसा होने का डर अधिक रहता है। सरकार गोवंश के लिए कार्य तो कर रही है, लेकिन व्यवस्था संभालने वाले अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं।
दुर्घटनाओं को दे रहे दावत
संदीप अग्रवाल का कहना है कि शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र सभी मुख्य मार्गों में निराश्रित पशु बीच सड़क पर बैठकर दुर्घटनाओं को दावत दे रहे हैं। इस पर जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए। इन्हें पकड़वा कर गोशाला भिजवाएं।
लगाए जाए जुर्माना
गोवर्धन रोड निवासी विपिन अग्रवाल ने कहा कि कुछ गोपालक दुधारू गोवंश का दूध निकालने के बाद सड़कों पर खुला छोड़ देते हैं। प्रशासन ऐसे गोपालकों को चिन्हित करके जुर्माना लगाए। साथ ही इनको जागरूक किया जाए।