18 से 25 वर्ष आयु वर्ग के युवाओं में एक नई किस्म की डायबिटीज हो रही है। इस डायबिटीज को टाइप-5 नाम दिया गया है। इसके रोगियों में इंसुलिन रेसिस्टेंट बढ़ जाता है। इससे ब्लड शुगर लेवल बढ़ा रहता है। डायबिटीज टाइप-5 के रोगियों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। सात से 10 अप्रैल तक बैंकाॅक में हुई इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन की कॉन्फ्रेंस में इस नई डायबिटीज को भी मान्यता देने का प्रस्ताव दिया गया जिससे शोध कार्यों और रोकथाम के कार्यों में तेजी आए।
आईएमए सीजीपी रिफ्रेशर कोर्स में यह बात एसजीपीजीआई के सीनियर इंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ. शिवेंद्र वर्मा ने बताई। सीनियर इंडोक्रोनोलॉजिस्ट डॉ. वर्मा ने बताया कि टाइप-5 डायबिटीज के रोगी युवा होते हैं। उनमें मोटापा भी नहीं होता, फिर ब्लड शुगर लेवल बढ़ा रहता है। इसके कारण पता किए जा रहे हैं। इन रोगियों की जांच में एक तथ्य पता चला है कि उनमें इनक्रेटिन हार्मोंस की कमी हो जाती है। यह हार्मोन आंतों से निकलता है। टाइप-5 डायबिटीज की जटिलताओं का भी अध्ययन किया जा रहा है।