लखनऊ : कयास यह लगाया जा रहा है कि 27 के रण में बीजेपी और सपा के बीच आमने सामने की टक्कर होगी, क्योंकि लोकसभा चुनाव के बाद जिस तरह से बसपा का तिलिस्म टूटकर बिखर रहा है, बसपा का कैडर वोट भी सपा और बीजेपी की तरफ खिसक चुका है, यही वजह है कि कई राज्यों में हुए चुनाव में बसपा कैंडिडेट को नोटा से भी कम वोट मिले, इसके पीछे कई वजह सामने आई हैं, मसलन बसपा अपने उद्देश्यों से भटक चुकी है, बसपा चीफ कभी अपने नेताओं के घर नहीं पहुंचती, बसपा को कभी सड़क पर उतरकर प्रदर्शन करने की अनुमति नही मिलती, सपा बसपा के बीच रिश्तेदारियां होने पर अनुशासन हीनता की कार्यवाही होती है, बसपा बीजेपी की बी टीम घोषित होने का तमगा भी ले चुकी हैं, ऐसे कई आरोप बसपा चीफ पर लग चुके हैं दो दिन पहले ही बसपा के पूर्व कैबिनेट मंत्री केके गौतम ने ऑन कैमरा यहां तक कह दिया कि बसपा प्रमुख अपने मूवमेंट से भटक चुकी हैं, और भी कई उदाहरण हैं, फायर स्पीच देने पर भतीजे आकाश आनंद को ही बी बाहर का रास्ता दिखा दिया गया, भाई आकाश आनंद को कोई तरजीह नहीं मिलती, यही वजह है कि पार्टी को आगे बढ़ाने वाले नसीमुद्दीन सिद्दीकी, केके गौतम जैसे कई नेताओं ने पार्टी को अलविदा कह दिया, जनता जनार्दन यह सब देख रही थी और बसपा से मुंह मोड़ना ही मुनासिब समझा
बसपा चीफ बीजेपी कांग्रेस और सपा पर फोड़ती हैं ठीकरा
बसपा चीफ मायावती अपनी करारी शिकस्त का ठीकरा विपक्षी दलों पर फोड़ती नजर आ रही है, बीते कई चुनाव में बसपा की हालत खस्ता हुई तो उन्होंने ने यह बयान दिया कि विपक्षी दलों ने दलितों के साथ छल कर उनका वोट हथिया लिया, हाल ही में बसपा चीफ ने सपा पर दलितों को ‘उकसाने’ और ‘तनाव फैलाने’ जैसे आरोप लगाया, तो सपा ने आरोपों को पूरी तरह से निराधार और झूठा करार दिया. उन्होंने कहा, ‘जो बातें मायावती ने कही हैं, वे सिर्फ भ्रम फैलाने के लिए हैं. समाजवादी पार्टी हमेशा दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक वर्गों के साथ खड़ी रही है. मायावती जी के आरोप सिर्फ सियासी डर और बौखलाहट का नतीजा हैं.’
सपा का पीडीए फार्मूला दिख रहा हिट
2007 के बाद बसपा लड़खड़ाई तो सपा ने इसका फायदा उठाया, पीडीए फार्मूला, दलितों के सुख दुख में पहुंचना, दलित अल्पसंख्यक, पिछड़ा समाज की मदद करने का सपा ने सिलसिला तेज किया, नतीजा यह रहा कि सपा की ताकत बढ़ती चली गई, सपा की इस नीति से बसपा सुप्रीमो की टेंशन बढ़ती चली गई, अब तो सपा प्रमुख अखिलेश यादव का जोश भी हाई हो चला है
बीजेपी की रणनीति से सपा कैसे निपटेगी
बीजेपी ने सबका साथ सबका विकास का नारा दिया, इधर जहां सपा बसपा की नजर दलित पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदाय पर है तो बीजेपी की नजर हर समुदाय के वर्ग पर ऐसे में अब सपा की राह आसान नहीं दिख रही है, सपा बसपा के बीच जहां द्वंद युद्ध चरम पर है तो बीजेपी को कोई टेंशन नही दिख रही, बीजेपी 27 में सरकार बनाने का दंभ भर रही है, इंडिया गठबंधन भी बिखर चुका है, 24 के चुनाव वाली स्थिति भी कोसों दूर दिख रही है, कांग्रेस सपा से अपना बदला हर हाल में लेगी ,ऐसा कयास भी तेज है, फिलहाल रणबाकुरे अभी से ही रण में कूद अपना अपना रण दिखाने की रणनीति तैयार कर रहें हैं