मथुरा महिला जिला अस्पताल में मंगलवार को अपनी गर्भवती पत्नी को स्कूटी से लेकर आए दिव्यांग के साथ सुरक्षा गार्ड और अस्पताल के स्टाफ ने अभद्रता की। दिव्यांग की गलती इतनी थी कि अस्पताल का गेट खुला होने के चलते उसने अपनी स्कूटी को अंदर खड़ा कर दिया। चूंकि उनकी पत्नी प्रसव पीड़िता से कराह रही थी तो वह उसके साथ अंदर चला गया। जब दिव्यांग बाहर आया तो स्कूटी अस्पताल के अंदर खड़ी करने को लेकर सुरक्षाकर्मी और अस्पताल के स्टॉफ ने उन्हें खूब खरी-खोटी सुनाई। इसके बाद उसकी पत्नी को आगरा के लिए रैफर कर दिया।
बलदेव थाना क्षेत्र के नगला मोहन निवासी दिव्यांग जनकवीर सिंह ने बताया कि मंगलवार को उनकी पत्नी को अचानक प्रसव पीड़ा हुई। उन्होंने कई बार सरकारी एंबुलेंस के लिए फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। अंत में उन्होंने अपनी स्कूटी पर पत्नी को बिठाया और महिला जिला अस्पताल के लिए चल दिए। यहां अस्पताल का गेट खुला होने के कारण उन्होंने स्कूटी अंदर खड़ी की और अपनी पत्नी को लेकर चिकित्सक के पास पहुंचे। चिकित्सक पत्नी की जांच कर रहे थे तभी वह बाहर आए तो एक सुरक्षाकर्मी ने उन्हें पकड़ लिया और स्कूटी अंदर खड़ी करने को लेकर अभद्रता करने लगा।
उन्होंने अपनी मजबूरी और दिव्यांगता का हवाला दिया, इसके बाद भी उसका दिल नहीं पसीजा। शोर होने और भीड़ एकत्रित होने पर अस्पताल का स्टाफ आ गया और उनको धक्का देते हुए स्कूटी तक ले गए और स्कूटी को बाहर निकाल कर ही दम लिया। पीडि़त ने बताया कि अस्पताल परिसर में कहीं भी नो-पार्किंग का बोर्ड नहीं लगा है। जहां उन्होंने अपनी स्कूटी खड़ी की वहां पर पहले से ही कई बाइक, कार और स्कूटी खड़ी हुईं थी। सूचना पर पुलिस भी पहुंच गई। पुलिस से समझा-बुझाकर मामला रफा-दफा कर दिया।
सीएमएस महिला अस्पताल अनिल कुमार पुरवानी ने बताया कि यदि सभी मरीजों के वाहन अंदर आएंगे तो जाम के हालात उत्पन्न हो जाएंगे। इसलिए अस्पताल के गेट को बंद करके रखा जाता है। मरीज आने पर सुरक्षाकर्मी गेट खोलते हैं। सुरक्षाकर्मी आर्मी से सेवानिवृत्त हैं, यह लोग नियमों के पक्के होते हैं। इसलिए दिव्यांग से स्कूटी हटाने को कहा था। चूंकि पीड़ित दिव्यांग था तो उसके साथ मानवता दिखानी चाहिए थी।