मऊ। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट डॉ. कृष्ण प्रताप सिंह ने जालसाजी कर दूसरे की आईडी पर फर्जी फोटो लगाकर सिम लेने के मामले में परदहां ब्लॉक के पूर्व प्रमुख रमेश सिंह काका और जावेद आजमी को सुनवाई के बाद दोषी पाया। इस दौरान जावेद आजमी को न्यायिक अभिरक्षा में लेते हुए जेल भेज दिया और सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए 3 जून की तिथि नियत की। वहीं फैसला सुनाने के समय रमेश सिंह कोर्ट मे उपस्थित नहीं था, इसलिए उसके विरुद्ध गैरजमानती वारंट जारी कर दिया। मामला शहर कोतवाली क्षेत्र का है।
ये है पूरा मामला
अभियोजन के अनुसार सहादतपुर निवासी सूर्यनाथ यादव की तहरीर पर एफआईआर दर्ज हुई। पीड़ित का कथन था कि उसके रिश्तेदार भानु प्रताप निवासी कोटिया, मठिया थाना मुहम्मदाबाद गोहना जो कोई वर्षों से मुंबई में रहकर नौकरी करते हैं। 9 जून 2010 को उसे पता चला है कि उसके रिश्तेदार भानु प्रताप के रिवाल्वर लाइसेंस की आईडी लगाकर प्रार्थना पत्र पर फर्जी फोटो लगाकर बदमाशों द्वारा सिम प्राप्त कर दुरुपयोग किया जा रहा है।
इस दौरान उसे पता चला कि पीसीओ संचालक द्वारा सिम कार्ड एक अजनबी व्यक्ति को प्रार्थी के रिश्तेदार भानु प्रताप के नाम से बेचा है जिस पर रिवाल्वर लाइसेंस के फोटो में काफी भिन्नता है। वादी की तहरीर के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्जकर बाद विवेचना सरायलखंसी थाना क्षेत्र के कैथवली गांव निवासी परदहां ब्लॉक के पूर्व ब्लाक प्रमुख रमेश सिंह काका और जावेद आजमी के विरुद्ध आरोप पत्र सीजेएम न्यायालय में प्रेषित किया।
न्यायालय में अभियोजन की ओर से पैरवी करते हुए अभियोजन अधिकारी हरेंद्र सिंह ने कुल 7 गवाहों को पेशकर अभियोजन का पक्ष रखा। सीजेएम ने दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने तथा पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करने के बाद रमेश सिंह काका और जावेद आजमी को दोषी पाया। दोषी पाए जाने के बाद जावेद आजमी को न्यायिक अभिरक्षा में लेते हुए जेल भेज दिया।