दिल्ली में बीजेपी सरकार बनते ही मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता गरीबों पर कहर बनकर टूटी हैं। सैकड़ों नहीं, बल्कि हज़ारों परिवारों की ज़िंदगी को एक झटके में मलबे में बदल दिया गया। झुग्गी-झोपड़ियों में पचास साल से रह रहे इन लोगों पर बुलडोज़र चला दिया गया, जो इस शहर को अपनी मेहनत से सींचते आए हैं। मेहनत-मज़दूरी करके, ठेला लगाकर, रिक्शा खींकर… जिन लोगों ने खून-पसीने से अपने सपनों का घर खड़ा किया, आज वही घर मलबे में तब्दील हैं… और इनके सपनों पर सिर्फ धूल बची है। और ये सब हो रहा है उस दिल्ली में, जहाँ कभी नरेंद्र मोदी ने वादा किया था — “जहां झुग्गी, वहां मकान!” लेकिन आज हालात ये हैं कि जहां झुग्गी थी, वहां अब सिर्फ़ बुलडोज़र है, मलबा है, और खुले आसमान के नीचे बैठा एक मजबूर गरीब परिवार है।
दिल्ली सरकार का कहना है कोर्ट का आदेश था, हम क्या करें? लेकिन सवाल ये है कि जब चुनाव के वक़्त वोट चाहिए थे, तब आप कोर्ट की बात नहीं करते थे! तब तो हर झुग्गी में जाके कहा था — आपका घर पक्का कराएंगे, मकान देंगे, मालिकाना हक़ देंगे! फिर अब क्या बदल गया? क्या चुनाव जीतते ही वादे मिटा दिए जाते हैं? क्या दिल्ली की सियासत में गरीबों की जगह सिर्फ नारों में होती है, ज़मीन पर नहीं?
इन परिवारों का कसूर सिर्फ़ इतना है कि उन्होंने 50 साल पहले तमिलनाडु से दिल्ली आकर ज़िंदगी शुरू की थी। मेहनत की, रोज़गार बनाया, बच्चों को पाला, और जोड़ा-जोड़ा पैसा… ताकि अपना एक छोटा सा घर बना सकें। लेकिन अब जब दिल्ली चमकाई जा रही है, तब इन मेहनतकशों की मौजूदगी सरकार की आंखों में चुभने लगी है। और इसीलिए बिना किसी इंसानियत, बिना किसी विकल्प, सीधे बुलडोज़र चलाकर सब कुछ तबाह कर दिया गया।
और अब जब आवाज़ उठ रही है तो दिल्ली सरकार कहती है — “हम मकान देंगे, प्लान बना रहे हैं।” लेकिन सवाल ये है कि जब प्लान ही नहीं था, तो बुलडोज़र क्यों चलाया गया? पहले छत क्यों छीनी गई, फिर भरोसा क्यों बांट रहे हो? और अब जब पूरा देश ये दर्दनाक मंजर देख रहा है, तब आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह सामने आए हैं। उन्होंने एलान कर दिया है कि इस अन्याय के खिलाफ वो संसद से सड़क तक लड़ाई लड़ेंगे। उन्होंने कहा है — ये सरकार गरीबों की नहीं, बुलडोज़र वालों की सरकार है। और अब ये लड़ाई सिर्फ दिल्ली की नहीं, पूरे देश के गरीबों की आवाज़ बनकर उठेगी। इसी मामले पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता के खिलाफ़ शिकायती पत्र भेज बुल्डोजर ऐक्शन पर रोक लगाने की मांग की है
लेकिन दोस्तों, इस पूरी कहानी में सबसे बड़ा सवाल यही है — क्या अब देश की राजधानी में रहने का हक सिर्फ़ अमीरों का है? क्या झुग्गियों में रहने वालों की कोई पहचान नहीं? क्या वोट लेने तक गरीब ज़रूरी हैं, और फिर बुलडोज़र के लायक?
ये सिर्फ घर नहीं उजड़े हैं… ये भरोसा उजड़ा है, ये सपने उजड़े हैं, ये पूरी पीढ़ियों की मेहनत मिट्टी में मिलाई गई है। और इस अपराध में सिर्फ बीजेपी नहीं, वो तमाम सरकारें ज़िम्मेदार हैं जिन्होंने इन गरीबों को कभी मकान नहीं दिया, कभी योजना में शामिल नहीं किया, कभी इंसान नहीं समझा।
लेकिन अब आवाज़ उठ रही है। अब ये मलबा भी चीख रहा है। अब ये गरीब चुप नहीं बैठेगा। अब संसद तक गूंजेगा ये सवाल — “जहां झुग्गी, वहां मकान” का क्या हुआ? और अगर जवाब नहीं मिला, तो दिल्ली की दीवारें हिलेंगी… और सत्ता की नींव तक कांप उठेगी।
ब्यूरो रिपोर्ट डी.के त्रिपाठी सैम टीवी डिजिटल