ब्रिटिश रॉयल एयरफोर्स के फाइटर जेट F-35 की शनिवार रात केरल के तिरुवनंतपुरम इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर इमरजेंसी लैंडिंग हुई। इस घटना पर भारतीय वायुसेना ने रविवार को कहा कि उसे इसकी पूरी जानकारी है और उसने फ्लाइट सुरक्षा कारणों से विमान को उतरने में मदद की। न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक F-35 ने हिंद महासागर में एक सॉर्टी के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरी, लेकिन फ्यूल कम होने के कारण इसने इमरजेंसी लैंडिंग की। जेट रात करीब 9.30 बजे सुरक्षित रूप से उतरा। वायुसेना के प्रवक्ता ने कहा, “F-35 के रास्ता बदलने की यह सामान्य घटना है। हमें इसकी पूरी जानकारी है। जेट को सभी प्रकार की सहायता दी जा रही है और हम सभी एजेंसियों के साथ समन्वय में है। विमान फिलहाल एयरपोर्ट पर खड़ा है।”
हालांकि लोकल मीडिया में दावा किया जा रहा है कि F-35 समुद्र की खराब स्थिति के कारण लगभग 100 समुद्री मील दूर अपने कैरियर पर वापस नहीं लौट सका। नतीजतन, इसने तिरुवनंतपुरम में लैंडिंग की परमिशन मांगी। F-35 अमेरिका का 5वीं जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। इसे लॉकहीड मार्टिन कंपनी ने डेवलप किया है। इस प्लेन को 2006 से बनाना शुरू किया गया था। 2015 से यह अमेरिकी वायुसेना में शामिल है। ये पेंटागन के इतिहास का सबसे महंगा विमान है। अमेरिका एक F-35 फाइटर प्लेन पर औसतन 82.5 मिलियन डॉलर (करीब 715 करोड़ रुपए) खर्च करता है।
दुनिया में सबसे महंगा फिर भी 5 साल में 9 बार क्रैश; मस्क इसे कबाड़ कह चुके पीएम नरेंद्र मोदी के अमेरिकी दौरे पर सबसे ज्यादा चर्चा F-35 फाइटर जेट को लेकर हुई थी। मुलाकात के बाद साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रम्प ने कहा था कि हम भारत के साथ हथियारों की बिक्री बढ़ा रहे हैं और आखिरकार F-35 लड़ाकू विमान की डील का रास्ता भी बना रहे हैं।