मनमोहन सिंह 10 साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे और इस दौरान उनके कार्यकाल की कई उपलब्धियां रहीं। हालांकि उनके कार्यकाल में पाकिस्तान के साथ भारत के रिश्तें कुछ खास नहीं रहे। हालांकि ऐसा नहीं है कि उन्होंने पड़ोसी देश के साथ शांति स्थापित करने की कोशिश नहीं की थी। पूर्व डिप्टी एनएसए और मनमोहन सिंह के करीबी सहयोगी पंकज सरन ने कहा है कि प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के साथ रिश्ते सामान्य करने की भरसक कोशिश की थी। उन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने के लिए ‘बहुत कोशिश’ की, लेकिन ये काम नहीं आया।

पाकिस्तान के साथ संबंध बेहतर करने के पक्षधर थे मनमोहन सिंह
1982 बैच के आईएफएस अधिकारी सरन ने रूस में भारत के दूत के रूप में काम किया था। उन्होंने भारत और विदेशों में भी कई पदों पर काम किया है, जिसमें बांग्लादेश में देश के उच्चायुक्त का पद भी शामिल है। उन्हें 2018 में डिप्टी एनएसए नियुक्त किया गया था। पंकज सरन ने मनमोहन सिंह के निधन को ‘बहुत दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया और उन्हें एक बुद्धिजीवी, विश्व स्तर के अर्थशास्त्री, ‘विनम्रता के प्रतीक’ व्यक्ति के रूप में याद किया। पूर्व डिप्टी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने याद करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के साथ शांति स्थापित करने की बहुत कोशिश की, लेकिन यह काम नहीं आया। लेकिन उन्होंने कोशिश की और वे बहुत निराश थे कि उनके प्रयास सफल नहीं हुए। साल 2008 में जब मुंबई हमला हुआ तो उन्हें उस घटना से गहरा झटका लगा था और वह इसे लेकर खासे नाराज भी हुए थे।

पश्चिम के साथ भारत के संबंधों को देते थे बेहद अहमियत
पंकज सरन ने कहा कि ‘साल 2008 में जी20 शिखर सम्मेलन की शुरुआत में मनमोहन सिंह पहले (भारतीय) प्रधानमंत्री थे जिन्होंने वैश्विक नेताओं के बीच बहुत उच्च प्रतिष्ठा हासिल की। पूर्व राजनयिक ने कहा कि मनमोहन सिंह का मानना था कि भारत का भविष्य पश्चिम के साथ अच्छे संबंधों में निहित है।’

मनमोहन सिंह के नाम पर है पाकिस्तान के स्कूल का नाम
मनमोहन सिंह का जन्म 1932 में पाकिस्तान पंजाब के चकवाल के गाह गांव में हुआ था। मनमोहन सिंह के गांव के लोग आज भी उन्हें याद करते हैं और उन्हें धन्यवाद देते हैं। दरअसल मनमोहन सिंह के भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद पाकिस्तान की सरकार ने उनके पैतृक गांव गाह में कई विकास कार्य कराए। जिनमें सड़कें, अस्पताल, पीने का साफ पानी जैसी सुविधाएं शामिल थीं। साथ ही गांव के बॉयज स्कूल का नाम बदलकर मनमोहन सिंह के नाम पर रख दिया गया था। मनमोहन सिंह के बचपन के दोस्त राजा मोहम्मद अली भी उनसे मिलने दिल्ली आए थे। राजा मोहम्मद अली ने मनमोहन सिंह को भी पाकिस्तान आने का न्योता दिया था, लेकिन मनमोहन सिंह पाकिस्तान नहीं जा सके थे।

सरन ने बताया कि मनमोहन सिंह ने ही पहली बार खाड़ी देशों में भी अपनी पहुंच बढ़ाई और वे सऊदी अरब गए। सरन ने कहा कि ‘इतिहास में मनमोहन सिंह ऐसे नेता के रूप में जाने जाएंगे, जिन्होंने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते की सफलता के साथ भारत-अमेरिका संबंधों के प्रतिमान को बदल दिया।’ सरन ने कहा कि उन्होंने आर्थिक नीति और विदेश नीति दोनों पर उन्होंने अपनी छाप छोड़ी। मुझे लगता है कि वह गैर-पारिवारिक कांग्रेस के महान लोगों में से एक थे।