बरेली जिले की चीनी मिलों पर नोकेन का संकट मंडरा रहा है। गत वर्ष आई बाढ़ में गन्ने की फसल बर्बाद हो जाने की वजह से उत्पादन प्रभावित हो गया। इस वजह से मिलों को किसानों से गन्ना नहीं मिल पा रहा है। इस वर्ष चीनी मिलें फरवरी माह में ही बंद हो सकती हैं। स्थिति यह है कि इन दिनों चीनी मिलें तीन घंटे तक ही संचालित हो रही हैं।
वर्ष 2024 में जिले में आई बाढ़ की वजह से गन्ने का उत्पादन प्रभावित हो गया था। बाढ़ की वजह से अधिकांश किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। दूसरी ओर गन्ने की प्रजाति 238 में रेड रॉट लग गया। इस वजह से भी फसल प्रभावित हो गई। जिसका असर अब देखने को मिल रहा है। वर्तमान में पांच चीनी मिले हैं। गत वर्ष 204 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई की गई थी। लेकिन इस वर्ष अब तक सिफ 180 लाख क्विंटल गन्ने की पेराई ही पाई है। स्थिति यह है कि 24 घंटे चलने वाली मिलें किसानों से गन्ना न मिलने के कारण कुल तीन घंटे ही संचालित हो रही हैं। गन्ना सत्र की शुरुआत गत वर्ष नवंबर माह में हो गई थी। इसी दौरान चीनी मिलों का संचालन शुरू हो गया था।
हर वर्ष करीब 2.5 लाख किसान इन पांच चीनी मिल नवाबगंज की ओसवाल मिल, बहेड़ी की केसर इंटरप्राइजेज, मीरगंज की धामपुर, सीमाखेड़ा की सहकारी मिल और फरीदपुर की द्वारिकेश मिल गन्ना लेकर पहुंचते हैं। लेकिन इस वर्ष फसल खराब होने की वजह से करीब दो लाख किसान ही गन्ना लेकर पहुंचे हैं। गत वर्ष से तुलना की जाए तो इस वर्ष सबसे कम किसान नवाबगंज क्षेत्र से मिलों में गन्ना लेकर पहुंचे हैं।