लखनऊ विकास प्राधिकरण का निगरानी तंत्र इतना कमजोर है कि फर्जीवाड़ा कर एलडीए के प्लॉट बेचने वाला गिरोह दस साल तक सक्रिय रहा। इसने अलग-अलग योजना देखने वाले बाबुओं की मिलीभगत से इस दौरान 90 से अधिक प्लॉट बेच डाले। इनकी आज बाजार में कीमत 100 करोड़ रुपये से भी अधिक है। एसटीएफ ने बीते दिनों गिरोह का खुलासा करते हुए छह लोगों को गिरफ्तार किया था।
इससे पहले बीच-बीच में अखबारों में फर्जीवाड़ों को लेकर खबरें प्रकाशित होने पर एक-दो बाबुओं पर कार्रवाई की गई। हालांकि, इनमें भी अफसरों ने अपने चहेतों को बचा लिया था। सूत्रों के अनुसार जिन भूखंडों को बेचा गया, अभी तक उनमें से एक भी प्लॉट की रजिस्ट्री निरस्त नहीं करवाई गई है। इसके लिए एलडीए को हर प्लॉट की कोर्ट फीस जमा करनी होगी। इसके बाद ही रजिस्ट्री निरस्त होगी और मूल स्वामी को वापस मिल सकेगी। इसके लिए लंबी प्रक्रिया अपनानी होगी।
बंद मिले सरगना के सभी लोन खाते
एसटीएफ ने पकड़े गए गिरोह के सरगना अचलेश्वर गुप्ता के खातों के लेनदेन का ब्योरा निकाला तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ। अचलेश्वर ने लाखों के लेनदेन किए थे, लेकिन फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद उसने खातों को खाली कर दिया। आरोपी के 10 लोन अकाउंट सामने आए हैं, जिसे उसने बंद करवा दिया। दो बचत खाते मिले, जिसमें शून्य बैलेंस और एक ओवर ड्राफ्ट अकाउंट बंद पाया गया। एसटीएफ पूर्व में किए गए लेन-देन का ब्योरा खंगाल रही है। ओवर ड्राफ्ट अकाउंट ऐसी सुविधा है, जो खाते में मौजूद राशि से अधिक धन निकालने की अनुमति देती है। इसकी सीमा संबंधित बैंक तय करता है।
घर में ही कर देते थे रजिस्ट्री
एलडीए के कर्मचारी मूल आवंटियों की रजिस्ट्री निकालकर गिरोह को देते थे। इसके बाद घर के भीतर ही रजिस्ट्री कर दी जाती थी। कमरे में ही स्कैनर, रजिस्ट्री से जुड़े मुहर, स्टांप पेपर रखा रहता था। खास बात है कि इसके पहले भी गोमतीनगर के बेलहारा गांव में यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था। फिर भी एलडीए के अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई। इस फर्जीवाड़े में पूर्व नजूल अधिकारी का नाम भी सामने आया था। हालांकि, मामले को दबा दिया गया था।
तत्कालीन अधिकारी पाए गए थे दोषी
कंप्यूटर सेल की अधिकारियों की मिलीभगत से ऑनलाइन कंप्यूटर में भी डाटा फीडिंग होती रही। इसमें तत्कालीन अधिकारी एसबी भटनागर दोषी पाए गए थे। इसकी जांच भी अब तक चल रही है। पुलिस विवेचना में इस जांच रिपोर्ट को शामिल कर सकती है। बताया जा रहा है कि जांच के दौरान भटनागर की कुछ प्रतिशत पेंशन भी रोकी गई है।